सोमवार, 30 जून 2014
Case #19 - आकर्षण ता सीमाएँ
डी एक नवयौवना थी जिसने अपने डर के बारे में बताया । मैंने पूछा, तुम्हे किस चीज का डर है ? उसने कहा वो आदमियों से डरती है । मैंने उसे स्पष्ट करने के लिये कहा । उसने बताया कि उसे पुरुषों का ध्यान अपनी ओरचाहिये लेकिन वह उससे डरती भी है ।
मैंने उसे स्वयं को दोनों चिकित्सक तथा अधयापक बताया, लेकिन मैं भी एक आदमी हूँ । उसने कहाँ, हाँ, लेकिन वो मुझे वास्तव में वैसा नहीं मानती है ।
मेरा ध्यान मुद्दे को अभी और इसी समय में लाने का और एक संबंध स्थापित करने में था । ज्यादा जागरूकता लाने में और एक संबंध के विकास के लिये मैं स्वयँ को एक साधन की तरह प्रयोग करना चाहता था ।
इसलिये मैंने कहा कि असलियत तो यही है कि मैं एक पुरुष हूं इसलिये यह देखने के लिये कि यह उसके लिये कैसा है, यह फायदेमन्द रहेगा ।
उसने कहा कि इससे दहशत होती है । मैंने पूछा क्यों । क्योंकि मैं उसे आकर्षक पा सकता हूँ ।
उसके साथ गल्त क्या है ? क्योंकि मुझे उससे प्रेम हो सकता है और उसके लिये एक मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है ।
इसलिये मैंने उससे कहा कि मुझसे सीधे तौर पर कहे कि मैं तुमसे प्यार में नहीं पड़ना चाहती, मैं तुम्हारे लिये उपलब्ध नहीं हूँ ।
अपनी सीमा निर्धारित करने पर उसे काफी अच्छा महसूस हुआ ।
फिर मैंने उसे अपना अनुभव भी बताया । मैंने कहा कि मैं भी उसके प्रेम में नहीं पड़ना चाहता । तुम मुझे आकर्षक तो लगती हो लेकिन हकीकत में तुम और मैं अपनी सीमा में रह सकते हैं ।
फिर उसके बाद हमने कुछ बातचीत की जिसमें मैंने उसको बताया कि मुझे उसके आकर्षक लगने से कैसा लगा और ये सब उसको कैसा लगा । वो अपने मुद्दे के छोर पर थी – अपनी ओर धयान तो चाहती थी लेकिन डरती भी थी ।
इसलिये एक सुरक्षित तरीके से परखने पर, उसे अपने ठीक होने का अनुभव होता, अपनी सीमाएँ निर्धारित करने में और उन्हे व्यक्त करने में सक्षम होती, और आकर्षण को बहुत ज्यादा न होने दे कर उससे निपट पाती ।
उसने इस बातचीत में कई बार शर्मिंदगी महसूस की । इसलिये, मैंने इसका केन्द्रबिंदु अपने और अपने अनुभव की ओर कर लिया । मैंने उसे बताया कि ये सारी चीजें मुझे भी आसान नहीं लगती हैं – ये कुछ ऐसा है जिसे कई बार अपनी चेतना से बाहर निकालना चाहा है । इसलिये ये अच्छा है कि इसे एक-दूसरे को बता पायें और बिना नियन्त्रण खोने के डर से वर्तमान क्षण में उसका अनुभव कर पायें ।
उसके लिये काफी तरीकों से ये एक नया अनुभव था और उसे अपनी सीमाएँ तय करने में, विषय के बारे में बात करने में, और संबंध में बिना किसी मुश्किल के कामुकता के पक्ष के बारे में जागरुक होने के लिये उसमें एक विश्वास आया था ।
गेस्टाल्ट प्रमाणिकता पर जोर देता है और उसे जागरूकता को बढ़ाने की प्रक्रिया में प्रयोग करता है और उस जागरुकता को संबंध के बीच ले कर आता है ।
मैंने उसे स्वयं को दोनों चिकित्सक तथा अधयापक बताया, लेकिन मैं भी एक आदमी हूँ । उसने कहाँ, हाँ, लेकिन वो मुझे वास्तव में वैसा नहीं मानती है ।
मेरा ध्यान मुद्दे को अभी और इसी समय में लाने का और एक संबंध स्थापित करने में था । ज्यादा जागरूकता लाने में और एक संबंध के विकास के लिये मैं स्वयँ को एक साधन की तरह प्रयोग करना चाहता था ।
इसलिये मैंने कहा कि असलियत तो यही है कि मैं एक पुरुष हूं इसलिये यह देखने के लिये कि यह उसके लिये कैसा है, यह फायदेमन्द रहेगा ।
उसने कहा कि इससे दहशत होती है । मैंने पूछा क्यों । क्योंकि मैं उसे आकर्षक पा सकता हूँ ।
उसके साथ गल्त क्या है ? क्योंकि मुझे उससे प्रेम हो सकता है और उसके लिये एक मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है ।
इसलिये मैंने उससे कहा कि मुझसे सीधे तौर पर कहे कि मैं तुमसे प्यार में नहीं पड़ना चाहती, मैं तुम्हारे लिये उपलब्ध नहीं हूँ ।
अपनी सीमा निर्धारित करने पर उसे काफी अच्छा महसूस हुआ ।
फिर मैंने उसे अपना अनुभव भी बताया । मैंने कहा कि मैं भी उसके प्रेम में नहीं पड़ना चाहता । तुम मुझे आकर्षक तो लगती हो लेकिन हकीकत में तुम और मैं अपनी सीमा में रह सकते हैं ।
फिर उसके बाद हमने कुछ बातचीत की जिसमें मैंने उसको बताया कि मुझे उसके आकर्षक लगने से कैसा लगा और ये सब उसको कैसा लगा । वो अपने मुद्दे के छोर पर थी – अपनी ओर धयान तो चाहती थी लेकिन डरती भी थी ।
इसलिये एक सुरक्षित तरीके से परखने पर, उसे अपने ठीक होने का अनुभव होता, अपनी सीमाएँ निर्धारित करने में और उन्हे व्यक्त करने में सक्षम होती, और आकर्षण को बहुत ज्यादा न होने दे कर उससे निपट पाती ।
उसने इस बातचीत में कई बार शर्मिंदगी महसूस की । इसलिये, मैंने इसका केन्द्रबिंदु अपने और अपने अनुभव की ओर कर लिया । मैंने उसे बताया कि ये सारी चीजें मुझे भी आसान नहीं लगती हैं – ये कुछ ऐसा है जिसे कई बार अपनी चेतना से बाहर निकालना चाहा है । इसलिये ये अच्छा है कि इसे एक-दूसरे को बता पायें और बिना नियन्त्रण खोने के डर से वर्तमान क्षण में उसका अनुभव कर पायें ।
उसके लिये काफी तरीकों से ये एक नया अनुभव था और उसे अपनी सीमाएँ तय करने में, विषय के बारे में बात करने में, और संबंध में बिना किसी मुश्किल के कामुकता के पक्ष के बारे में जागरुक होने के लिये उसमें एक विश्वास आया था ।
गेस्टाल्ट प्रमाणिकता पर जोर देता है और उसे जागरूकता को बढ़ाने की प्रक्रिया में प्रयोग करता है और उस जागरुकता को संबंध के बीच ले कर आता है ।
शुक्रवार, 27 जून 2014
Case #18 - 18 छोटी सी छुट्टी
टरुडी अपनी आँटी और अंकल के साथ रहती थी । अंकल को उसकी साइकोलाजी में रूचि बेकार की लगती थी । वह उस पर नौकरी करने के लिये जोर डालता था । वह उसके द्वारा कार्यशालाओं, जैसे कि यह कार्यशाला, पर किये गये खर्च की आलोचना करता था और उससे कहता था कि उसकी उम्र 26 वर्ष की होने के कारण उसे अब विवाह कर लेना चाहिये ।
जब मैंने उससे पूछा कि उसे अपने शरीर में कैसा महसूस होता है, तो उसने बताया कि उसे कंधों में दर्द होती है । शारीरिक तौर पर यह सामान्यतया जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी लेने के कारण होता है ।
और वास्तव में, वो इन मामलों में अपने ऊपर ज्यादा जोर डालती थी । नौकरी ढूँढना, किस तरह की नौकरी ढूँढे, इत्यादि । मैंने उससे पूछा वह क्या करना चाहती थी – क्या चिकित्सा करवाना चाहती थी। लेकिन उसे लगता था कि उसे अभ्यास की आवश्यकता है और इससे पहले कि वह तैयार हो, जीवन का अनुभव लेना चाहती थी । मैंने उससे पूछा, वो कब होगा – तो उसने कहा 'जब मैं बूढ़ी हो जाऊँगी' ।
गेस्टाल्ट में हम हमेशा विशिष्टताओं पर केन्द्रित करते हैं । मैंने उससे पूछा, कितनी बूढ़ी ? तो उसका जवाब था 80 साल की ।
इसलिये, मैंने उससे पूछा कि इस समय और उस समय के अंतराल में वो क्या काम करना चाहेगी । अपने ऊपर दबाव महसूस होने के कारण उसे इस बात का जवाब देने के लिये सोचने में मुश्किल हो रही थी ।
इसलिये मैंने उससे कहा कि इस दबाव से छुट्टी ले ले और 1 मिनट के लिये छुट्टी मनाये । उस समय के दौरान बस मेरे साथ रहने के लिये । मैंने उसमें एक ऐसी चीज देखी, जिसकी मैंने प्रशंसा की । और मैंने उसको वही करने के लिये कहा । इसने उसको आधार दिया और मेरे साथ उसके संबंध में पूर्णता ला दी, उसे सकारात्मक मान्यता दी (उसने बताया था कि उसे कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता, सिर्फ अपने माता-पिता से दबाव मिलता था ), और संवेदिक जागरूकता में ले आया । हम गेस्टाल्ट में लोगों को अपनी 'कहानियों' तथा योजनाओं से बाहर लाने के लिये इन प्रारंभिक प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं ।
यहाँ मैंने जो प्रस्तावित किया था वो एक गेस्टाल्ट का प्रयोग था ।
वह थोड़ी सहज हुई, परन्तु उसे ये बहुत मुश्किल लगा । वो अपने को कोई 'छुट्टी नहीं दे पाई । इसलिये मैं उसकी जाँच करने को उधर गया और उसके कंधे के उस हिस्से को, जहाँ उसे दर्द हो रही थी, ढूँढ कर अपनी अंगुली से दबाया । यह मालिश नहीं थी, बस जिस जगह की वजह से उसे तनाव हो रहा था, उसकी जानकारी के लिये तथा इस बारे में उसकी जागरुकता को बढाने के लिये – वो इसकी इतनी आदी हो चुकी है कि वह उसके बारे में सोचती नहीं ।
जब मैंने उसे छोड़ा तो ही वो मुझे छोड़ पाई ।
इससे पहले कि हम उसकी नौकरी की स्थिति के बारे में थोड़ी और बातचीत करें, हमने फिर से एक छोटी सी छुट्टी के लिये कोशिश की।
उसके बाद हम फिर 'छुट्टी' पर आ गये, जिसको उसने मुश्किल पाया ।
मैंने दुख व्यक्त किया कि यह उसके लिये बहुत मुश्किल था । मैंने चिंता भी जाहिर की कि यदि उसने अपने ऊपर इतना दबाव पड़ते रहने दिया तो वो इतने लम्बे समय तक जी नहीं पायेगी ।
इससे उसकी जागरूकता एक बड़े परिदृश्य पर केन्द्रित हुई और इतने अधिक दबाव के साथ जीने के नतीजे पर । इसने उसको यह दृष्टिकोण भी दिया कि उसकी यह आदत उसे उस रास्ते पर ले जायेगी जिसे वो वास्तव में चुनना नहीं चाहती ।
गेस्टाल्ट चुनाव के बारे में है ।
जब मैंने उससे पूछा कि उसे अपने शरीर में कैसा महसूस होता है, तो उसने बताया कि उसे कंधों में दर्द होती है । शारीरिक तौर पर यह सामान्यतया जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी लेने के कारण होता है ।
और वास्तव में, वो इन मामलों में अपने ऊपर ज्यादा जोर डालती थी । नौकरी ढूँढना, किस तरह की नौकरी ढूँढे, इत्यादि । मैंने उससे पूछा वह क्या करना चाहती थी – क्या चिकित्सा करवाना चाहती थी। लेकिन उसे लगता था कि उसे अभ्यास की आवश्यकता है और इससे पहले कि वह तैयार हो, जीवन का अनुभव लेना चाहती थी । मैंने उससे पूछा, वो कब होगा – तो उसने कहा 'जब मैं बूढ़ी हो जाऊँगी' ।
गेस्टाल्ट में हम हमेशा विशिष्टताओं पर केन्द्रित करते हैं । मैंने उससे पूछा, कितनी बूढ़ी ? तो उसका जवाब था 80 साल की ।
इसलिये, मैंने उससे पूछा कि इस समय और उस समय के अंतराल में वो क्या काम करना चाहेगी । अपने ऊपर दबाव महसूस होने के कारण उसे इस बात का जवाब देने के लिये सोचने में मुश्किल हो रही थी ।
इसलिये मैंने उससे कहा कि इस दबाव से छुट्टी ले ले और 1 मिनट के लिये छुट्टी मनाये । उस समय के दौरान बस मेरे साथ रहने के लिये । मैंने उसमें एक ऐसी चीज देखी, जिसकी मैंने प्रशंसा की । और मैंने उसको वही करने के लिये कहा । इसने उसको आधार दिया और मेरे साथ उसके संबंध में पूर्णता ला दी, उसे सकारात्मक मान्यता दी (उसने बताया था कि उसे कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता, सिर्फ अपने माता-पिता से दबाव मिलता था ), और संवेदिक जागरूकता में ले आया । हम गेस्टाल्ट में लोगों को अपनी 'कहानियों' तथा योजनाओं से बाहर लाने के लिये इन प्रारंभिक प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं ।
यहाँ मैंने जो प्रस्तावित किया था वो एक गेस्टाल्ट का प्रयोग था ।
वह थोड़ी सहज हुई, परन्तु उसे ये बहुत मुश्किल लगा । वो अपने को कोई 'छुट्टी नहीं दे पाई । इसलिये मैं उसकी जाँच करने को उधर गया और उसके कंधे के उस हिस्से को, जहाँ उसे दर्द हो रही थी, ढूँढ कर अपनी अंगुली से दबाया । यह मालिश नहीं थी, बस जिस जगह की वजह से उसे तनाव हो रहा था, उसकी जानकारी के लिये तथा इस बारे में उसकी जागरुकता को बढाने के लिये – वो इसकी इतनी आदी हो चुकी है कि वह उसके बारे में सोचती नहीं ।
जब मैंने उसे छोड़ा तो ही वो मुझे छोड़ पाई ।
इससे पहले कि हम उसकी नौकरी की स्थिति के बारे में थोड़ी और बातचीत करें, हमने फिर से एक छोटी सी छुट्टी के लिये कोशिश की।
उसके बाद हम फिर 'छुट्टी' पर आ गये, जिसको उसने मुश्किल पाया ।
मैंने दुख व्यक्त किया कि यह उसके लिये बहुत मुश्किल था । मैंने चिंता भी जाहिर की कि यदि उसने अपने ऊपर इतना दबाव पड़ते रहने दिया तो वो इतने लम्बे समय तक जी नहीं पायेगी ।
इससे उसकी जागरूकता एक बड़े परिदृश्य पर केन्द्रित हुई और इतने अधिक दबाव के साथ जीने के नतीजे पर । इसने उसको यह दृष्टिकोण भी दिया कि उसकी यह आदत उसे उस रास्ते पर ले जायेगी जिसे वो वास्तव में चुनना नहीं चाहती ।
गेस्टाल्ट चुनाव के बारे में है ।
सोमवार, 23 जून 2014
Case #17 - 17 धिसी-पिी कहानी को सुलाना
जेन को दिमागी तकलीफ थी । उसने अपने जीवन में बहुत दुख झेला था; उसका दवाखानों में आना-जाना लगा रहता था, और बहुत सी दवाइयों को लेना पड़ता था और एक बहुत बड़ी मुश्किल से छुटकारा पाने की कोशिश में इलाज करवा रहा था । उसका स्वाभिमान बहुत कम था और उसे लोगों के बीच आत्मविश्वास नहीं था; वो बहुत शर्मीला था ।
उसने बोलना शुरू किया; वह अपने दुख की कहानी बताना चाहता था ।
मैंने तभी उसे बीच में रोक दिया । मेरा मत था कि यह एक बहुत पुरानी धिसी-पिटी कहानी है जिससे उसका मकसद हल नहीं होता, शायद सिवाय इसके कि वह हमदर्दी लेना चाहता था, खुद पर अफसोस करना चाहता था या फिर अपनी बहुत समय की पीड़ा को सही ठहराने के लिये ।
मैंने उससे कहा कि मैं उसे किस चीज में आनन्द आता है और किस चीज में पीड़ा मिलती है में अंतर समझाऊँगा । मैंने उसे कमरे में चारों ओर देखने को कहा और ये बताने के लिये कहा कि किस व्यक्ति को देख कर उसे प्रसन्नता महसूस होती है, एक ऐसे मापदण्ड पर जिसमें ज्यादा आनन्द और कम आनन्द का पता चले ।
फिर मैंने उसे किसी ऐसे व्यक्ति को चुनने के लिये कहा जिसको देख कर उसे सबसे अच्छा लगा । उसने अपने चिकित्सक को चुना, जो उस समूह में था । मैंने उससे कहा कि वो बताये उसे क्या लगता है । उसने बताया कि उसे अपनी छाती में जोश सा महसूस होता है । मैंने उससे कहा कि वह जोर से साँस ले । देखने से वो सहज लग रहा था, उसका चेहरा कोमल हो गया था । फिर मैंने उससे कहा कि उसके बाद समूह में उसको कौन सा व्यक्ति अच्छा लगता है । उसने उम्र में सबसे छोटे सदस्य को चुना । इसलिये, मैंने उसे वैसा ही करने को कहा ।
यह सब करने के बाद वह शांत और तृप्त लग रहा था ।
इस प्रयोग ने उसकी दु:खद कहानी को सुलझाया और उसको संबंधों, वर्तमान के जीवन्त सम्पर्क में लाया ।
गेस्टाल्ट यहाँ और अभी के संदर्भ में काम करता है। संदर्भ को समझ्ने के लिये या और गहराई से समझने के लिये कहानी में जाना लाभदायक हो सकता है, लेकिन कुछ कहानियाँ नई होती हैं जिन्हें सुनने और समझने की जरूरत होती है । बाकी कहानियाँ घिसी-पिटी होती हैं जिनमें कोई नयापन नहीं होता और खुद को महत्व देने के लिये होती हैं । सभी कहानियों को अंत में वर्तमान में लाया जाता है जहाँ पर हमें कोई चुनाव मिलता है, जो कि गेस्टाल्ट का महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु है ।
उसने बोलना शुरू किया; वह अपने दुख की कहानी बताना चाहता था ।
मैंने तभी उसे बीच में रोक दिया । मेरा मत था कि यह एक बहुत पुरानी धिसी-पिटी कहानी है जिससे उसका मकसद हल नहीं होता, शायद सिवाय इसके कि वह हमदर्दी लेना चाहता था, खुद पर अफसोस करना चाहता था या फिर अपनी बहुत समय की पीड़ा को सही ठहराने के लिये ।
मैंने उससे कहा कि मैं उसे किस चीज में आनन्द आता है और किस चीज में पीड़ा मिलती है में अंतर समझाऊँगा । मैंने उसे कमरे में चारों ओर देखने को कहा और ये बताने के लिये कहा कि किस व्यक्ति को देख कर उसे प्रसन्नता महसूस होती है, एक ऐसे मापदण्ड पर जिसमें ज्यादा आनन्द और कम आनन्द का पता चले ।
फिर मैंने उसे किसी ऐसे व्यक्ति को चुनने के लिये कहा जिसको देख कर उसे सबसे अच्छा लगा । उसने अपने चिकित्सक को चुना, जो उस समूह में था । मैंने उससे कहा कि वो बताये उसे क्या लगता है । उसने बताया कि उसे अपनी छाती में जोश सा महसूस होता है । मैंने उससे कहा कि वह जोर से साँस ले । देखने से वो सहज लग रहा था, उसका चेहरा कोमल हो गया था । फिर मैंने उससे कहा कि उसके बाद समूह में उसको कौन सा व्यक्ति अच्छा लगता है । उसने उम्र में सबसे छोटे सदस्य को चुना । इसलिये, मैंने उसे वैसा ही करने को कहा ।
यह सब करने के बाद वह शांत और तृप्त लग रहा था ।
इस प्रयोग ने उसकी दु:खद कहानी को सुलझाया और उसको संबंधों, वर्तमान के जीवन्त सम्पर्क में लाया ।
गेस्टाल्ट यहाँ और अभी के संदर्भ में काम करता है। संदर्भ को समझ्ने के लिये या और गहराई से समझने के लिये कहानी में जाना लाभदायक हो सकता है, लेकिन कुछ कहानियाँ नई होती हैं जिन्हें सुनने और समझने की जरूरत होती है । बाकी कहानियाँ घिसी-पिटी होती हैं जिनमें कोई नयापन नहीं होता और खुद को महत्व देने के लिये होती हैं । सभी कहानियों को अंत में वर्तमान में लाया जाता है जहाँ पर हमें कोई चुनाव मिलता है, जो कि गेस्टाल्ट का महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु है ।
शुक्रवार, 20 जून 2014
Case #16 - 16 मुस्कराी आँखें, डरावनी आँखें
इनग्रिड ने मेरी तरफ देखा और कहा तुम्हारे पास मुस्कराती आँखें हैं ।
मैंने कहा, डरावनी आँखों से बेहतर ।
मैं इससे भिन्न करना चाहता थ । यह बढ़िया है कि वह मेरे साथ सुरक्षित महसूस कर रही थी, लेकिन यह इसलिये था कि उसने मेरा डरावना भाग नहीं देखा था । और, उसके डरावने भाग के बारे में क्या । मेरी रुचि एक भरपूर संबंध की ओर बढ रही है, बजाय इसके कि सुरक्षा के पूर्वानुमान के साथ ही रहा जाये । इसलिये, मैंने उससे पूछा कि उसकी आँखें डरावनी कब थी, और मैंने उस समय की बात की जब मैं क्रोधित होता था, जब मुझे चोट पहुँचती थी ।
उसने अपने गुस्से की बात की । मैंने उससे एक खास उदारण बताने के लिये कहा । उसने बताया कि जब उसके पति ने उसे फोन किया तो उसने उससे कहा कि उस समय वह व्यस्त थी पर वास्तव में उसके पास बात करने के लिये समय नहीं था । वो लम्बे समय तक बात करता रहा और वो सुनती रही । ऐसा हमेशा ही होता था ।
इसलिये मैंने एक प्रयोग का प्रस्ताव किया ।
हम एक-दूसरे के आमने-सामने हाथ ऊपर करके खड़े हो गये और वैसा ही किया जैसा उसके पति के साथ होता था जब वो अपनी सीमा का उल्लंघन करता था । मैंने धीरे से उसके हाथ पीछे किये, जिससे कि उसको पीछे होना पड़ा नहीं तो वो गिर जाती ।
फिर मैंने उसको वापिस धक्का देने के लिये कहा । उसने कोशिश की, लेकिन बहुत ही हल्के से । हमने इसे बहुत बार दोहराया ।
मैंने उसको अपनी सीमा में रहने के लिये कहा । और अंत में उसने अपनी भरपूर शक्ति से बहुत जोर से धक्का दिया – यह बहुत जोरदार लगा ।
फिर मैंने उसे अपने पति की तरह करने के लिये और मेरी सीमा का अतिक्रमण करने के लिये कहा । इस स्थिति का सामना करना उसके लिये बहुत मुश्किल था, आक्रामक होना उसके लिये बहुत बड़ा कदम था ।
इसलिये इस बार मैंने उससे कहा कि वो मुझे अपनी सीमा का उल्लंघन करने न दे, बल्कि रोक कर मेरी शक्ति का सामना करे । उसको लगा जैसे उसकी टांगों को लकवा मार गया हो और उसके हाथों में शक्ति न रही हो। इसलिये मैंने उससे कहा कि अपनी जागरुकता को अपने पैरों की तरफ लाये । कुछ समय बाद मैंने उसे आगे बढ़ने के लिये कहा और मैं पीछे हट गया । अंत में उसने अपने सारे शरीर को इस प्रक्रिया में लीन किया और मुझे उसे पीछे धकेलने में बड़ी मुश्किल हो रही थी क्योंकि वो अब वास्तव में अपनी शक्ति का प्रयोग कर रही थी ।
ऐसा लगा कि यह एक बहुत मजबूत मुकाबला था ।
यह एक बहुत शक्तिशाली प्रयोग था, जहाँ स्थिति के बारे में बात करने के बजाय, हम उसे उसी समय हम दोनों के बीच यहीं ले आये । खुद को शामिल करके मैं यह महसूस कर पाया कि वास्तव में उस संबंध में क्या हो रहा था, और उसे उसकी जकड़न और कमजोरी से निकाल कर पूर्णता की ओर जाने के लिये सहायता कर पाया ।
मैंने कहा, डरावनी आँखों से बेहतर ।
मैं इससे भिन्न करना चाहता थ । यह बढ़िया है कि वह मेरे साथ सुरक्षित महसूस कर रही थी, लेकिन यह इसलिये था कि उसने मेरा डरावना भाग नहीं देखा था । और, उसके डरावने भाग के बारे में क्या । मेरी रुचि एक भरपूर संबंध की ओर बढ रही है, बजाय इसके कि सुरक्षा के पूर्वानुमान के साथ ही रहा जाये । इसलिये, मैंने उससे पूछा कि उसकी आँखें डरावनी कब थी, और मैंने उस समय की बात की जब मैं क्रोधित होता था, जब मुझे चोट पहुँचती थी ।
उसने अपने गुस्से की बात की । मैंने उससे एक खास उदारण बताने के लिये कहा । उसने बताया कि जब उसके पति ने उसे फोन किया तो उसने उससे कहा कि उस समय वह व्यस्त थी पर वास्तव में उसके पास बात करने के लिये समय नहीं था । वो लम्बे समय तक बात करता रहा और वो सुनती रही । ऐसा हमेशा ही होता था ।
इसलिये मैंने एक प्रयोग का प्रस्ताव किया ।
हम एक-दूसरे के आमने-सामने हाथ ऊपर करके खड़े हो गये और वैसा ही किया जैसा उसके पति के साथ होता था जब वो अपनी सीमा का उल्लंघन करता था । मैंने धीरे से उसके हाथ पीछे किये, जिससे कि उसको पीछे होना पड़ा नहीं तो वो गिर जाती ।
फिर मैंने उसको वापिस धक्का देने के लिये कहा । उसने कोशिश की, लेकिन बहुत ही हल्के से । हमने इसे बहुत बार दोहराया ।
मैंने उसको अपनी सीमा में रहने के लिये कहा । और अंत में उसने अपनी भरपूर शक्ति से बहुत जोर से धक्का दिया – यह बहुत जोरदार लगा ।
फिर मैंने उसे अपने पति की तरह करने के लिये और मेरी सीमा का अतिक्रमण करने के लिये कहा । इस स्थिति का सामना करना उसके लिये बहुत मुश्किल था, आक्रामक होना उसके लिये बहुत बड़ा कदम था ।
इसलिये इस बार मैंने उससे कहा कि वो मुझे अपनी सीमा का उल्लंघन करने न दे, बल्कि रोक कर मेरी शक्ति का सामना करे । उसको लगा जैसे उसकी टांगों को लकवा मार गया हो और उसके हाथों में शक्ति न रही हो। इसलिये मैंने उससे कहा कि अपनी जागरुकता को अपने पैरों की तरफ लाये । कुछ समय बाद मैंने उसे आगे बढ़ने के लिये कहा और मैं पीछे हट गया । अंत में उसने अपने सारे शरीर को इस प्रक्रिया में लीन किया और मुझे उसे पीछे धकेलने में बड़ी मुश्किल हो रही थी क्योंकि वो अब वास्तव में अपनी शक्ति का प्रयोग कर रही थी ।
ऐसा लगा कि यह एक बहुत मजबूत मुकाबला था ।
यह एक बहुत शक्तिशाली प्रयोग था, जहाँ स्थिति के बारे में बात करने के बजाय, हम उसे उसी समय हम दोनों के बीच यहीं ले आये । खुद को शामिल करके मैं यह महसूस कर पाया कि वास्तव में उस संबंध में क्या हो रहा था, और उसे उसकी जकड़न और कमजोरी से निकाल कर पूर्णता की ओर जाने के लिये सहायता कर पाया ।
रविवार, 15 जून 2014
Case #15 - 15 वैंग का मामला, कमजोर बोध, और झपकी
वैंग एक प्रतिभाशाली युवक था । मैं एक तार्किक तरीके का दृष्टिकोण दर्शाना चाहता था । इसलिये, मैंने उसकी टी-शर्ट को देखने से शुरूआत की जो भूरे रंग की बहुत ही उबाऊ थी । उसने बताया कि उसने इसको चुना क्योंकि उसमें रंगों को पहचानने की क्षमता नहीं है, और उसे यह हरी लगती है ।
उसने दर-असल अपने रंग बोध के संबंध में 'कमजोर' शब्द का इस्तेमाल किया ।
उसने आगे बताया कि उसका संवेदी तथा अन्तर्वैक्तिक बोध सामन्यतया 'कमजोर' है ।
इससे उसकी महिला-मित्र के साथ कठिनाईयाँ होती हैं ।
मैंने इसमें अपनी बात कही और अपनी कमजोर बोध क्षमताओं के बारे में बताया ।
मेरे द्वारा अपनी व्यक्तिगत बातें बताने से उसको अपनी बातें आगे खुल कर कहने का आधार मिलता है ।
वह जानना चाहता था कि इसे कैसे बदले या ठीक करे ।
मैंने उसे गेस्टाल्ट के दृष्टिकोण से समझाया कि हमें ठीक करने में कोई रुचि नहीं है, परन्तु जो है उसे पूरे तौर करने में, हरेक व्यक्ति की शैली की मजबूतियों और कमियों को समझने में है । और फिर शायद संभावनों की सीमा को बढ़ाने में ।
इसलिये मैंने उसे उन विशेष उदाहरणों को बताने के लिये कहा जहाँ उसकी शैली उसके काम आती है । वो इसके बारे में कुछ कहता है, और फिर 'लेकिन' कहता है…इसलिये मैंने उसे अपना मूल्याँकन करने से रोक दिया और फिर अपने उन उदाहरणों को ये मूल्यांकन करते हुए बताया कि वो कहाँ पर मेरे काम आते हैं ।
गेस्टाल्ट के तरीके में इलाज करने वाला अक्सर स्वयँ को उदाहरण के तौर पर पेश करता हैं ।
फिर मैंने उससे उसकी कमियों के बारे में पूछा । उसने एक साधारण सा प्रत्युत्तर दिया । इसलिये मैंने उससे किसी विशेष उदाहरण को बताने के लिये कहा । गेस्टाल्ट में हम मुद्दों को विशेष तरीके से इतना मथ लेते हैं कि हम उनके साथ काम कर सकें ।
उसने उदाहरण दिया कि उसकी महिला मित्र उससे प्रशंसा और कोमल शब्द चाहती है, और उसे ये लगता है कि उसने उसे पहले ही ये चीजें दे दी हैं । इसलिये वो इसका प्रतिरोध करता है । उसे इस बात को समझने में बड़ी मुश्किल होती है कि वह क्या चाहती है ।
मैंने उसको उसकी आँख झपकने के बारे में बताया, जो मैंने देखी थी । यह कुछ असामान्य थी – अक्सर जल्दी-जल्दी झपकती थी और कभी-कभी तो बड़ी उल्लेखनीय होती थी ।
उसको इस बारे में कुछ पता नहीं था कि वह ऐसा करता था, लेकिन उसके आँखें झपकाने के अनुभव से उसकी जानकारी कराने ने उसे बिल्कुल कोरा कर दिया । इसलिये मैंने उसे समूह में कुछ लोगों की तरफ देखने को कहा और कहा कि देखे कि उसके आँखें झपकाने के साथ क्या होता होता है । यह बहुत मुश्किल था, वह जल्दी से गया परन्तु कुछ देख नहीं पाया ।
इसलिये मैंने उसे अपनी ओर देखने और धयान देने के लिये कहा । उसने सीधे-सीधे अपना मूल्याँकन करना शुरू कर दिया, मैंने उसे केवल स्वयँ पर और अपने अनुभव पर कैमरे की तरह धयान देने के लिये कहा । यह उसके लिये मुश्किल था और उसे कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी । लेकिन उस वक्त उसने आँखें धीरे से झपकाईं । मैंने पूछा उस वक्त क्या हुआ था ।
उसने कहा वह आँख मिलाना नहीं चाहता था । गेस्टाल्ट में हम घटना पर धयान देते हैं, खासकर वो मोड़ जहाँ चीजें बदलती हैं और उस वक्त के हुए अनुभव की जाँच करते हैं ।
हमने टालने के बारे में बात की और मैंने उसे अपने पिता के आने के दौरान का अपना उदाहरण दिया । फिर से, मैंने अपने बारे में जो खुलासा किया था, उसने आगे बातचीत करने का आधार बनाया । उसने कुछ भावुक हो कर प्रतिक्रिया व्यक्त की – उसको भी अपने पिता से बातचीत करने में मुश्किलें आती थी ।
हमारे पास उसमें जाने का समय नहीं था, लेकिन इसको आगे के कार्य के लिये चिन्हित कर लिया गया ।
पहले ही बहुत कुछ करना था, इसलिये हमने इस सत्र को समाप्त कर दिया ।
उसने जो कुछ जाना था उसका अभ्यास करने के लिये उसे एक विशेष मोड़ ला कर छोड़ दिया गया, जैसा कि वह शुरूआत करने से पहले था । वह चुस्त था, और हमेशा सोचने लगता था । इसलिये, आँखें झपकाने ने उसे अपनी भावनाओं से संबंध बनाने के लिये एक मार्कर दिया, विशेषतया तब जब वह देखता था कि चीजें हद से बाहर जा रही हैं ।
उसकी दूसरों के साथ सामंजस्य बैठाने की क्षमता तब तक काम नहीं कर सकती थी जब तक कि उसकी स्वयँ से सामंजस्य बैठाने की क्षमता का विकास न किया जाये । और आँखें झपकाने से जो अंतराल मिलता था उससे कुछ हद तक उसकी 'कमजोर' बोध शक्ति पर नियंत्रण रहता था ।
उसने दर-असल अपने रंग बोध के संबंध में 'कमजोर' शब्द का इस्तेमाल किया ।
उसने आगे बताया कि उसका संवेदी तथा अन्तर्वैक्तिक बोध सामन्यतया 'कमजोर' है ।
इससे उसकी महिला-मित्र के साथ कठिनाईयाँ होती हैं ।
मैंने इसमें अपनी बात कही और अपनी कमजोर बोध क्षमताओं के बारे में बताया ।
मेरे द्वारा अपनी व्यक्तिगत बातें बताने से उसको अपनी बातें आगे खुल कर कहने का आधार मिलता है ।
वह जानना चाहता था कि इसे कैसे बदले या ठीक करे ।
मैंने उसे गेस्टाल्ट के दृष्टिकोण से समझाया कि हमें ठीक करने में कोई रुचि नहीं है, परन्तु जो है उसे पूरे तौर करने में, हरेक व्यक्ति की शैली की मजबूतियों और कमियों को समझने में है । और फिर शायद संभावनों की सीमा को बढ़ाने में ।
इसलिये मैंने उसे उन विशेष उदाहरणों को बताने के लिये कहा जहाँ उसकी शैली उसके काम आती है । वो इसके बारे में कुछ कहता है, और फिर 'लेकिन' कहता है…इसलिये मैंने उसे अपना मूल्याँकन करने से रोक दिया और फिर अपने उन उदाहरणों को ये मूल्यांकन करते हुए बताया कि वो कहाँ पर मेरे काम आते हैं ।
गेस्टाल्ट के तरीके में इलाज करने वाला अक्सर स्वयँ को उदाहरण के तौर पर पेश करता हैं ।
फिर मैंने उससे उसकी कमियों के बारे में पूछा । उसने एक साधारण सा प्रत्युत्तर दिया । इसलिये मैंने उससे किसी विशेष उदाहरण को बताने के लिये कहा । गेस्टाल्ट में हम मुद्दों को विशेष तरीके से इतना मथ लेते हैं कि हम उनके साथ काम कर सकें ।
उसने उदाहरण दिया कि उसकी महिला मित्र उससे प्रशंसा और कोमल शब्द चाहती है, और उसे ये लगता है कि उसने उसे पहले ही ये चीजें दे दी हैं । इसलिये वो इसका प्रतिरोध करता है । उसे इस बात को समझने में बड़ी मुश्किल होती है कि वह क्या चाहती है ।
मैंने उसको उसकी आँख झपकने के बारे में बताया, जो मैंने देखी थी । यह कुछ असामान्य थी – अक्सर जल्दी-जल्दी झपकती थी और कभी-कभी तो बड़ी उल्लेखनीय होती थी ।
उसको इस बारे में कुछ पता नहीं था कि वह ऐसा करता था, लेकिन उसके आँखें झपकाने के अनुभव से उसकी जानकारी कराने ने उसे बिल्कुल कोरा कर दिया । इसलिये मैंने उसे समूह में कुछ लोगों की तरफ देखने को कहा और कहा कि देखे कि उसके आँखें झपकाने के साथ क्या होता होता है । यह बहुत मुश्किल था, वह जल्दी से गया परन्तु कुछ देख नहीं पाया ।
इसलिये मैंने उसे अपनी ओर देखने और धयान देने के लिये कहा । उसने सीधे-सीधे अपना मूल्याँकन करना शुरू कर दिया, मैंने उसे केवल स्वयँ पर और अपने अनुभव पर कैमरे की तरह धयान देने के लिये कहा । यह उसके लिये मुश्किल था और उसे कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी । लेकिन उस वक्त उसने आँखें धीरे से झपकाईं । मैंने पूछा उस वक्त क्या हुआ था ।
उसने कहा वह आँख मिलाना नहीं चाहता था । गेस्टाल्ट में हम घटना पर धयान देते हैं, खासकर वो मोड़ जहाँ चीजें बदलती हैं और उस वक्त के हुए अनुभव की जाँच करते हैं ।
हमने टालने के बारे में बात की और मैंने उसे अपने पिता के आने के दौरान का अपना उदाहरण दिया । फिर से, मैंने अपने बारे में जो खुलासा किया था, उसने आगे बातचीत करने का आधार बनाया । उसने कुछ भावुक हो कर प्रतिक्रिया व्यक्त की – उसको भी अपने पिता से बातचीत करने में मुश्किलें आती थी ।
हमारे पास उसमें जाने का समय नहीं था, लेकिन इसको आगे के कार्य के लिये चिन्हित कर लिया गया ।
पहले ही बहुत कुछ करना था, इसलिये हमने इस सत्र को समाप्त कर दिया ।
उसने जो कुछ जाना था उसका अभ्यास करने के लिये उसे एक विशेष मोड़ ला कर छोड़ दिया गया, जैसा कि वह शुरूआत करने से पहले था । वह चुस्त था, और हमेशा सोचने लगता था । इसलिये, आँखें झपकाने ने उसे अपनी भावनाओं से संबंध बनाने के लिये एक मार्कर दिया, विशेषतया तब जब वह देखता था कि चीजें हद से बाहर जा रही हैं ।
उसकी दूसरों के साथ सामंजस्य बैठाने की क्षमता तब तक काम नहीं कर सकती थी जब तक कि उसकी स्वयँ से सामंजस्य बैठाने की क्षमता का विकास न किया जाये । और आँखें झपकाने से जो अंतराल मिलता था उससे कुछ हद तक उसकी 'कमजोर' बोध शक्ति पर नियंत्रण रहता था ।
सोमवार, 9 जून 2014
Case #14 - 14 नींद : रोक के रखें या आने दें
जूली कहती है कि समूह में बैठे हुए वो बहुत ही सहज और उनींदी महसूस करती है ।
कहती है कि वो 20 सालों तक निंद्रा न आने की बीमारी से ग्रसित थी । मैंने उससे पूछा कि उस समय क्या हुआ था, और वो उत्तर देती है कि बहुत सारी चीजें थी, वो बहुत व्यस्त थी, और उसे सोने के लिये ज्यादा वक्त नहीं मिलता था । संदर्भ की खोजबीन करने के बजाय, मैंने उसके तात्कालिक अनुभव पर केन्द्रित होने का और एक गेस्टाल्ट प्रयोग करने का निर्णय लिया ।
मैंने उसे बताया कि नींद को आने देना चाहिये और उनींदी होने के लिये समूह में यही वह कर पा रही थी ।
इसलिये यदि उसे नियमित रूप से सोने में मुश्किल आती थी, तो स्पष्टत: उसको नींद को रोके रखने का अभ्यास है । इसलिये, मैंने उससे कहा कि आओ मुझे पकड़ कर, मेरी कलाई को पकड़ कर, सोने की कोशिश करो । फिर मैंने उससे कहा कि क्लास में नींद आने के अनुभव को मुझे कर के दिखाये और फिर उसे रोक कर रखे जैसे कि वह सोने से पहले करती थी ।
मैंने देखा कि उसका पकड़ना इतना मजबूत नहीं था, केवल दो उंगलियों से पकड़ रखा था । इसलिये, मैंने उसका धयान उस ओर खींचा और उससे कहा कि नींद आने देने का प्रयोग करे । यह उसके लिये मुश्किल नहीं था ।
यह एक छोटा सा प्रयोग था लेकिन इसने उसको इसका सीधा अनुभव कराया कि वो क्या कर रही है और उस चीज को किसी और तरीके से कैसे किया जा सकता है । मैंने उससे कहा कि सोते समय वो ये धयान रखे कि कैसे उसे नींद को रोके रखने के बारे में पता चला और फिर याद करे कि उसने मेरी कलाई को कैसे छोड़ा और कैसे वो समूह में नींद को आने देती है ।
गेस्टाल्ट प्रयोग मुद्दों को वर्तमान में ले कर आने का है, और उनकी परख एक सम्मिल्लित, सक्रिय एवँ रचनात्मक तरीके से करने के बारे में है। जहाँ भी संभव हो, इसे आसामी और इलाज करने वाले के बीच एक संबंध स्थापित करके किया जाता है । इससे इलाज करने वाले को ये समझने में सहायता मिलती है कि क्या हो रहा है, बजाय इसके कि इसे बयान किया जाये । प्रयोग एक नया अनुभव देता है और उन उपस्थित चीजों के बारे में जानकारी देता है जिनके बारे में जानकारी नहीं मिलती या विस्तार से देखी नहीं जा सकती । गेस्टाल्ट में हम यह समझते हैं कि कैसे चीजों की पूरी जानकीरी की जाये, और वो अटकी हुई न रहें, अधूरी या बँटी हुईं…एकीकरण स्वाभाविक रूप से होता है । यह टाओइस्ट की अवधारणा है ।
कहती है कि वो 20 सालों तक निंद्रा न आने की बीमारी से ग्रसित थी । मैंने उससे पूछा कि उस समय क्या हुआ था, और वो उत्तर देती है कि बहुत सारी चीजें थी, वो बहुत व्यस्त थी, और उसे सोने के लिये ज्यादा वक्त नहीं मिलता था । संदर्भ की खोजबीन करने के बजाय, मैंने उसके तात्कालिक अनुभव पर केन्द्रित होने का और एक गेस्टाल्ट प्रयोग करने का निर्णय लिया ।
मैंने उसे बताया कि नींद को आने देना चाहिये और उनींदी होने के लिये समूह में यही वह कर पा रही थी ।
इसलिये यदि उसे नियमित रूप से सोने में मुश्किल आती थी, तो स्पष्टत: उसको नींद को रोके रखने का अभ्यास है । इसलिये, मैंने उससे कहा कि आओ मुझे पकड़ कर, मेरी कलाई को पकड़ कर, सोने की कोशिश करो । फिर मैंने उससे कहा कि क्लास में नींद आने के अनुभव को मुझे कर के दिखाये और फिर उसे रोक कर रखे जैसे कि वह सोने से पहले करती थी ।
मैंने देखा कि उसका पकड़ना इतना मजबूत नहीं था, केवल दो उंगलियों से पकड़ रखा था । इसलिये, मैंने उसका धयान उस ओर खींचा और उससे कहा कि नींद आने देने का प्रयोग करे । यह उसके लिये मुश्किल नहीं था ।
यह एक छोटा सा प्रयोग था लेकिन इसने उसको इसका सीधा अनुभव कराया कि वो क्या कर रही है और उस चीज को किसी और तरीके से कैसे किया जा सकता है । मैंने उससे कहा कि सोते समय वो ये धयान रखे कि कैसे उसे नींद को रोके रखने के बारे में पता चला और फिर याद करे कि उसने मेरी कलाई को कैसे छोड़ा और कैसे वो समूह में नींद को आने देती है ।
गेस्टाल्ट प्रयोग मुद्दों को वर्तमान में ले कर आने का है, और उनकी परख एक सम्मिल्लित, सक्रिय एवँ रचनात्मक तरीके से करने के बारे में है। जहाँ भी संभव हो, इसे आसामी और इलाज करने वाले के बीच एक संबंध स्थापित करके किया जाता है । इससे इलाज करने वाले को ये समझने में सहायता मिलती है कि क्या हो रहा है, बजाय इसके कि इसे बयान किया जाये । प्रयोग एक नया अनुभव देता है और उन उपस्थित चीजों के बारे में जानकारी देता है जिनके बारे में जानकारी नहीं मिलती या विस्तार से देखी नहीं जा सकती । गेस्टाल्ट में हम यह समझते हैं कि कैसे चीजों की पूरी जानकीरी की जाये, और वो अटकी हुई न रहें, अधूरी या बँटी हुईं…एकीकरण स्वाभाविक रूप से होता है । यह टाओइस्ट की अवधारणा है ।
गुरुवार, 5 जून 2014
Case #13 - खून का सपना
लिज को एक स्वपन बार-बार आता था । मैंने उसे गेस्टाल्ट के तरीके से बताने के लिये कहा, जिसमें हम अपने आसामियों को अपने सपने के साथ वर्तमान समय में यहाँ ले कर आते हैं ।
उसने इस तरीके से वर्णन किया :
मैं एक रेलगाड़ी में अपनी माँ के साथ हूँ । सामने दो लड़के काली वर्दी में हैं, जो मुझे तंग कर रहे हैं ।
वह परेशान हो जाती है और वो लड़के चले जाते हैं । अब एक मेरे पास ही गाड़ी में पेशाब कर रहा है, और उसकी अंतड़ियों से बहुत सारा गर्म खून रिस रहा है । गाड़ी का फर्श लाल-लाल है । मैं डर जाती हूँ । उसका खून बहता रहता है पर वह वहीं खड़ा रहता है । दूसरे लड़के के साथ भी वही हो रहा है ।
जब हम स्टेशन पर पहुँचते हैं तो वहाँ एक महिला डाक्टर बहुत सारे उपकरणों के साथ खड़ी है । वह वहाँ है देख कर मेरी चिंता खत्म हो जाती है ।
मैं उसे और गहराई के साथ वर्तमान से जोड़ने के लिये पूछता हूँ कि इस स्तर वो क्या महसूस कर रही है…डरी हुई, मरने की भावना के साथ, बिल्कुल अकेली ।
जब वो लड़के की तरह बोलती है तो कहती है, मैं फर्श पर ढेर होते हुए अपनी शक्ति खो रही हूँ । मैं अपने शरीर के अंदर कोई जीवन की शक्ति या गर्मी नहीं रख पा रही हूँ ।
मैं उससे कहता हूँ कि अपने शरीर में आ जाओ – यह उसके सपने के अनुभव को वर्तमान शारीरिक अनुभव के साथ जोड़ता है और 'वो क्या है' के और करीब ले आता है ।
…वह स्वयँ को अपनी छाती में एक बेपेंदी बाल्टी के समान महसूस करती है । मैं उससे पूछता हूँ कि वह इस समय अपने शरीर में कितना जोश महसूस कर रही है । वह 30% बताती है ।
मैं उसे जानकारी देता हूँ जिससे उसका संबंध शारीरिक अनुभव के साथ बनता है ।
मेरा उसके बारे में अनुभव है कि वह बहुत जोशीली व्यक्ति है – मैं कहूँगा 70% ।
मैं उससे इस अंतर के बारे में पूछता हूँ और उसे एक प्रयोग करने के लिये देता हूँ – क्या वो अपने जोश को घटा और बढ़ा सकती है ।
इससे हम जोश के आपातिक मुद्दे पर काम करने दिया ।
जब वह इसे कम करती है तो उसे लगता है कि वह ढेर हो रही है, हाँफ रही है और अपनी आँतड़ियों को सुन्न महसूस कर रही है ।
वह कहती है कि वो वास्तव में कभी-कभी छोटी अंतड़ियों में दर्द महसूस करती है, जैसे कि सुईयाँ चुभ रही हों । और उस पर ठंड का बड़ा प्रभाव पड़ता है, ठंड में साँस लेना दूभर हो जाता है ।
मैं उससे कहता हूँ कि वह अपनी छोटी अंतड़ियों में आ जाये ।
…वह बहुत भारीपन, सीलन तथा नमी महसूस करती है, हिलना भी मुश्किल है ।
वह कहती है कि वो शारीरिक तौर पर कुछ भी सहन नहीं कर सकती । उसके लिये खाने से पर्याप्त पौष्टिकता मिलनी मुश्किल है, वह बहुत पतली है, इसलिये उसे अन्य चीजें लेनी पड़ती हैं । अगर उसे छुआ जाये तो वह डर जाती है । उसे सहज होने में कुछ समय लगता है। वह काम-वासना में अधिक लिप्त नहीं है । वो छुआ जाना पसन्द करती है लेकिन एक बच्चे की भाँति ।
मैं उसके जोश को परखने के लिये उसे सपने का खून होने को कहता हूँ ।
वो कहती है, मैं जोशीली हूँ, जीवन से भरपूर, पौष्टिकता से भरपूर । वो लड़का मुझे खारिज कर रहा है, मैं व्यवस्था से बाहर हो रही हूँ, उसे मेरी जरूरत नही है ।
मैं उससे पूछता हूँ कि उसके सपने के अनुभव को वास्तविक जीवन के साथ जोड़ना किस तरह से उसके जीवन के लिये सही बैठता है ।
…वह जीवन को किस तरह से अस्वीकार करती है, उसके बारे में बात करती है…यह बहुत ज्यादा है… कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशानियाँ, मुझे ऐसा लगता है कि कोई मुझे समझ नहीं पाता, एक अंदरूनी मर्दाना आवाज उसे मरने के लिये कह रही है ।
इसलिये, मैं उससे उसके पिता के बारे में पूछता हूँ …वह हमेशा दूर रहता था । जब वो बच्ची थी, वह अपने-आप में रहता था, उसके साथ बात नहीं करता था, सिर्फ टी वी देखता रह्ता था या खुद को दूर कर लेता था । उसका चेहरा कठोर और पत्थर की तरह था । उसे उसके लिये अफसोस होता था, उसे खुश करने के लिये एक लड़के की तरह व्यवहार करती थी…बस उसे खुश और मुस्कराते हुए देखना चाहती थी ।
अब बड़ा होने पर, जब वह अपने पिता को देखती है, उसे अपने पेट में तकलीफ होती है। वह उसकी तरफ एक बच्चे की तरह देखता है, अपनी माँ की चाह में ।
इसलिये, अब यह स्पष्ट है । जब वह बच्ची थी तो उसे अपने माँ-बाप का, अपने पिता का, स्नेह चाहिये था लेकिन वास्तव में यह उसको तैयार कर रहा था, जो वो कभी कर नहीं सकी । बच्चे के लिये यह मुश्किल काम था, और इसने उसमें से जीवन शक्ति को खींच लिया । अब उसके पास स्नेह पाने के लिये एक अच्छा आधार नहीं था, और उसे थके हुए महसूस होने की आदत पड़ चुकी थी, जो उसे मिल रहा था उससे ज्यादा देने की । इसने उसको लोगों की तरफ दयालु और माँ की तरह व्यवहार करने वाला बना दिया, लेकिन अंदर से उसे केवल दर्द और रिक्तता महसूस होती थी ।
यह बिखराव जीवन को अस्वीकार करने का प्रतिनिधित्व करता है और वो असमंजस, एक रुकावट से ग्रसित है ।
इस बिंदु पर पहुँच कर हम रुकावट का समाधान नहीं करते लेकिन हम इसके बारे में जानकारी पैदा करते हैं । गेस्टाल्ट में, सारे बदलाव जानकारी से आते हैं …
उसने इस तरीके से वर्णन किया :
मैं एक रेलगाड़ी में अपनी माँ के साथ हूँ । सामने दो लड़के काली वर्दी में हैं, जो मुझे तंग कर रहे हैं ।
वह परेशान हो जाती है और वो लड़के चले जाते हैं । अब एक मेरे पास ही गाड़ी में पेशाब कर रहा है, और उसकी अंतड़ियों से बहुत सारा गर्म खून रिस रहा है । गाड़ी का फर्श लाल-लाल है । मैं डर जाती हूँ । उसका खून बहता रहता है पर वह वहीं खड़ा रहता है । दूसरे लड़के के साथ भी वही हो रहा है ।
जब हम स्टेशन पर पहुँचते हैं तो वहाँ एक महिला डाक्टर बहुत सारे उपकरणों के साथ खड़ी है । वह वहाँ है देख कर मेरी चिंता खत्म हो जाती है ।
मैं उसे और गहराई के साथ वर्तमान से जोड़ने के लिये पूछता हूँ कि इस स्तर वो क्या महसूस कर रही है…डरी हुई, मरने की भावना के साथ, बिल्कुल अकेली ।
जब वो लड़के की तरह बोलती है तो कहती है, मैं फर्श पर ढेर होते हुए अपनी शक्ति खो रही हूँ । मैं अपने शरीर के अंदर कोई जीवन की शक्ति या गर्मी नहीं रख पा रही हूँ ।
मैं उससे कहता हूँ कि अपने शरीर में आ जाओ – यह उसके सपने के अनुभव को वर्तमान शारीरिक अनुभव के साथ जोड़ता है और 'वो क्या है' के और करीब ले आता है ।
…वह स्वयँ को अपनी छाती में एक बेपेंदी बाल्टी के समान महसूस करती है । मैं उससे पूछता हूँ कि वह इस समय अपने शरीर में कितना जोश महसूस कर रही है । वह 30% बताती है ।
मैं उसे जानकारी देता हूँ जिससे उसका संबंध शारीरिक अनुभव के साथ बनता है ।
मेरा उसके बारे में अनुभव है कि वह बहुत जोशीली व्यक्ति है – मैं कहूँगा 70% ।
मैं उससे इस अंतर के बारे में पूछता हूँ और उसे एक प्रयोग करने के लिये देता हूँ – क्या वो अपने जोश को घटा और बढ़ा सकती है ।
इससे हम जोश के आपातिक मुद्दे पर काम करने दिया ।
जब वह इसे कम करती है तो उसे लगता है कि वह ढेर हो रही है, हाँफ रही है और अपनी आँतड़ियों को सुन्न महसूस कर रही है ।
वह कहती है कि वो वास्तव में कभी-कभी छोटी अंतड़ियों में दर्द महसूस करती है, जैसे कि सुईयाँ चुभ रही हों । और उस पर ठंड का बड़ा प्रभाव पड़ता है, ठंड में साँस लेना दूभर हो जाता है ।
मैं उससे कहता हूँ कि वह अपनी छोटी अंतड़ियों में आ जाये ।
…वह बहुत भारीपन, सीलन तथा नमी महसूस करती है, हिलना भी मुश्किल है ।
वह कहती है कि वो शारीरिक तौर पर कुछ भी सहन नहीं कर सकती । उसके लिये खाने से पर्याप्त पौष्टिकता मिलनी मुश्किल है, वह बहुत पतली है, इसलिये उसे अन्य चीजें लेनी पड़ती हैं । अगर उसे छुआ जाये तो वह डर जाती है । उसे सहज होने में कुछ समय लगता है। वह काम-वासना में अधिक लिप्त नहीं है । वो छुआ जाना पसन्द करती है लेकिन एक बच्चे की भाँति ।
मैं उसके जोश को परखने के लिये उसे सपने का खून होने को कहता हूँ ।
वो कहती है, मैं जोशीली हूँ, जीवन से भरपूर, पौष्टिकता से भरपूर । वो लड़का मुझे खारिज कर रहा है, मैं व्यवस्था से बाहर हो रही हूँ, उसे मेरी जरूरत नही है ।
मैं उससे पूछता हूँ कि उसके सपने के अनुभव को वास्तविक जीवन के साथ जोड़ना किस तरह से उसके जीवन के लिये सही बैठता है ।
…वह जीवन को किस तरह से अस्वीकार करती है, उसके बारे में बात करती है…यह बहुत ज्यादा है… कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशानियाँ, मुझे ऐसा लगता है कि कोई मुझे समझ नहीं पाता, एक अंदरूनी मर्दाना आवाज उसे मरने के लिये कह रही है ।
इसलिये, मैं उससे उसके पिता के बारे में पूछता हूँ …वह हमेशा दूर रहता था । जब वो बच्ची थी, वह अपने-आप में रहता था, उसके साथ बात नहीं करता था, सिर्फ टी वी देखता रह्ता था या खुद को दूर कर लेता था । उसका चेहरा कठोर और पत्थर की तरह था । उसे उसके लिये अफसोस होता था, उसे खुश करने के लिये एक लड़के की तरह व्यवहार करती थी…बस उसे खुश और मुस्कराते हुए देखना चाहती थी ।
अब बड़ा होने पर, जब वह अपने पिता को देखती है, उसे अपने पेट में तकलीफ होती है। वह उसकी तरफ एक बच्चे की तरह देखता है, अपनी माँ की चाह में ।
इसलिये, अब यह स्पष्ट है । जब वह बच्ची थी तो उसे अपने माँ-बाप का, अपने पिता का, स्नेह चाहिये था लेकिन वास्तव में यह उसको तैयार कर रहा था, जो वो कभी कर नहीं सकी । बच्चे के लिये यह मुश्किल काम था, और इसने उसमें से जीवन शक्ति को खींच लिया । अब उसके पास स्नेह पाने के लिये एक अच्छा आधार नहीं था, और उसे थके हुए महसूस होने की आदत पड़ चुकी थी, जो उसे मिल रहा था उससे ज्यादा देने की । इसने उसको लोगों की तरफ दयालु और माँ की तरह व्यवहार करने वाला बना दिया, लेकिन अंदर से उसे केवल दर्द और रिक्तता महसूस होती थी ।
यह बिखराव जीवन को अस्वीकार करने का प्रतिनिधित्व करता है और वो असमंजस, एक रुकावट से ग्रसित है ।
इस बिंदु पर पहुँच कर हम रुकावट का समाधान नहीं करते लेकिन हम इसके बारे में जानकारी पैदा करते हैं । गेस्टाल्ट में, सारे बदलाव जानकारी से आते हैं …
सोमवार, 2 जून 2014
Case #12 - 12 सपना: जुडवाँ, पानी, माँ
सपने, ख्याली पुलाव तथा कहानियाँ सभी एक जैसे हैं : वे हमें व्यक्ति में सम्पूर्ण पैठ करने देते हैं ।
जेस्स ने दो जुडवाँ लड़कों के बारे में एक कहानी लिखी थी । वो दोनों एक बाँध के किनारे खेल रहे थे । मुख्य चरित्र, जिसे हम टोनी कह सकते हैं, को पानी से डर लगता था । दूसरा जुडवाँ, जैक, नहीं डरता था । जैक पानी में खेल रहा था और टोनी से छेड़छाड़ करते हुए पानी में आने के लिये कह रहा था । टोनी रुका रहा । उनकी माँ का कुछ समय पहले देहांत हो गया था और सौतेली माँ उनकी देख-रेख करती थी । टोनी की जेब में एक पथ्तर था जो उसकी माँ की निशानी थी । जैक ने उसकी जेब से पत्थर निकाल कर पानी में फेंक दिया । टोनी उसके पीछे पानी में भागा और पाया कि वह पानी में ठीक-ठाक है । वो पत्थर के बारे में भूल गया ।
जेस्स का विवादास्पद मुद्दा था कि वह कि वह अपनी महिला मित्र के साथ विवाह करने में संकोच कर रहा था । वह उससे प्रेम करता था परन्तु उसके साथ एक लम्बे भविष्य बिताने के बारे में सहज महसूस नहीं करता था, और वह एक पक्के निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहा था ।
हमने टोनी को हरेक चरित्र के साथ जोड़ कर उसके सपने की जाँच की । टोनी की तरह वह पानी से, उसके अंदर जाने से, डरता था । जैक की तरह वह सहज, अपने में शांत, और चंचल था । अपनी मर चुकी माँ की तरह वह ममतामयी, जवान, कोमल था । पानी की तरह वह गहरा था । यहाँ उसका माँ का अनुभव महत्वपूर्ण था क्योंकि उसकी माँ संवेदनाहीन और अलग-थलग रहने वाली थी और यही चीज औरतों के साथ संबंध में उसके लिये मुश्किल पैदा करने वाली थी – वह ज्यादा नजदीकी से डरता था और डरता था कि उसकी संवेदनहीनता उसके संबंधों के बीच आ जायेगी । इसलिये यहाँ जो स्पष्ट हुआ उसका गहराई , ममतामई, नारी-सुलभ संबंधी उसके अनुभव से ताल्लुक था । यह उसके लिये पानी में कूदने के लिये प्रेरक था । यह भी स्पष्ट था कि उसे अपने जुडवें की सहायता की आवश्यकता थी, कोई ऐसा जिसे डर न लगता हो, और उसकी स्नेही माँ की मूर्ति ले कर पानी में फेंक दे ।
इसलिये मैंने उससे पूछा कि क्या हम वैसे ही खेल सकते हैं । मैं उसका जुडवा होऊँगा, उसकी जेब से निशानी को निकालूगा, और पानी में फेंक दूँगा । वह मान गया, इसलिये मैंने बोला कि 'मैं अब निशानी ले रहा हूँ, मैं अब इसे पानी में फेंक रहा हूँ' । उसने इसके बाद पानी में जाने की कल्पना की । उसके बाद उसने सहज महसूस किया ।
यह उसके लिये बहुत ही गहन अनुभव था । उसने अपने-आप को स्थिर, व्यवस्थित महसूस किया, और अपने अंदर गहराई तक झांकने के लिये सक्षम पाया, जो उसकी भविष्य में संबंधों की परेशानियों से चिंतित नहीं था । जैसा कि कहानी में था, एक बार पानी में जाने के बाद उसे अपनी माँ की याद की आवश्यकता नहीं थी ।
फिर भी, यह स्पष्ट था कि यहाँ बहुत सारी चीजों की आवश्यकता थी । एक तो, कोई उसकी सहायता करे – उसे अपनी स्नेही माँ की तरफ, जिससे मिलने के लिये उसके मन में हमेशा ललक रहती थी, धयान आकर्षित करने के लिये जुडवाँ की आवश्यकता थी । फिर उस जगह की तरफ उसका जाना स्वाभाविक था । अंत में, वो वास्तव में अपने आप में रह सकता था, उस टुकड़े में बंटा हुआ नहीं जो डुबकी लगाना चाहता हो, लेकिन संकोची था, और वो हिस्सा था जो जीवन में आगे बढ़ गया था । उसने दोनों को साथ में आते हुए महसूस किया । उसने ह्रदय में गहरी, स्नेही, नारी सुलभ भावना के साथ संबंध महसूस किया, इसलिये वह बिना किसी संकोच के जीवन में डुबकी लगाने के लिये सक्षम हो गया था ।
जेस्स ने दो जुडवाँ लड़कों के बारे में एक कहानी लिखी थी । वो दोनों एक बाँध के किनारे खेल रहे थे । मुख्य चरित्र, जिसे हम टोनी कह सकते हैं, को पानी से डर लगता था । दूसरा जुडवाँ, जैक, नहीं डरता था । जैक पानी में खेल रहा था और टोनी से छेड़छाड़ करते हुए पानी में आने के लिये कह रहा था । टोनी रुका रहा । उनकी माँ का कुछ समय पहले देहांत हो गया था और सौतेली माँ उनकी देख-रेख करती थी । टोनी की जेब में एक पथ्तर था जो उसकी माँ की निशानी थी । जैक ने उसकी जेब से पत्थर निकाल कर पानी में फेंक दिया । टोनी उसके पीछे पानी में भागा और पाया कि वह पानी में ठीक-ठाक है । वो पत्थर के बारे में भूल गया ।
जेस्स का विवादास्पद मुद्दा था कि वह कि वह अपनी महिला मित्र के साथ विवाह करने में संकोच कर रहा था । वह उससे प्रेम करता था परन्तु उसके साथ एक लम्बे भविष्य बिताने के बारे में सहज महसूस नहीं करता था, और वह एक पक्के निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहा था ।
हमने टोनी को हरेक चरित्र के साथ जोड़ कर उसके सपने की जाँच की । टोनी की तरह वह पानी से, उसके अंदर जाने से, डरता था । जैक की तरह वह सहज, अपने में शांत, और चंचल था । अपनी मर चुकी माँ की तरह वह ममतामयी, जवान, कोमल था । पानी की तरह वह गहरा था । यहाँ उसका माँ का अनुभव महत्वपूर्ण था क्योंकि उसकी माँ संवेदनाहीन और अलग-थलग रहने वाली थी और यही चीज औरतों के साथ संबंध में उसके लिये मुश्किल पैदा करने वाली थी – वह ज्यादा नजदीकी से डरता था और डरता था कि उसकी संवेदनहीनता उसके संबंधों के बीच आ जायेगी । इसलिये यहाँ जो स्पष्ट हुआ उसका गहराई , ममतामई, नारी-सुलभ संबंधी उसके अनुभव से ताल्लुक था । यह उसके लिये पानी में कूदने के लिये प्रेरक था । यह भी स्पष्ट था कि उसे अपने जुडवें की सहायता की आवश्यकता थी, कोई ऐसा जिसे डर न लगता हो, और उसकी स्नेही माँ की मूर्ति ले कर पानी में फेंक दे ।
इसलिये मैंने उससे पूछा कि क्या हम वैसे ही खेल सकते हैं । मैं उसका जुडवा होऊँगा, उसकी जेब से निशानी को निकालूगा, और पानी में फेंक दूँगा । वह मान गया, इसलिये मैंने बोला कि 'मैं अब निशानी ले रहा हूँ, मैं अब इसे पानी में फेंक रहा हूँ' । उसने इसके बाद पानी में जाने की कल्पना की । उसके बाद उसने सहज महसूस किया ।
यह उसके लिये बहुत ही गहन अनुभव था । उसने अपने-आप को स्थिर, व्यवस्थित महसूस किया, और अपने अंदर गहराई तक झांकने के लिये सक्षम पाया, जो उसकी भविष्य में संबंधों की परेशानियों से चिंतित नहीं था । जैसा कि कहानी में था, एक बार पानी में जाने के बाद उसे अपनी माँ की याद की आवश्यकता नहीं थी ।
फिर भी, यह स्पष्ट था कि यहाँ बहुत सारी चीजों की आवश्यकता थी । एक तो, कोई उसकी सहायता करे – उसे अपनी स्नेही माँ की तरफ, जिससे मिलने के लिये उसके मन में हमेशा ललक रहती थी, धयान आकर्षित करने के लिये जुडवाँ की आवश्यकता थी । फिर उस जगह की तरफ उसका जाना स्वाभाविक था । अंत में, वो वास्तव में अपने आप में रह सकता था, उस टुकड़े में बंटा हुआ नहीं जो डुबकी लगाना चाहता हो, लेकिन संकोची था, और वो हिस्सा था जो जीवन में आगे बढ़ गया था । उसने दोनों को साथ में आते हुए महसूस किया । उसने ह्रदय में गहरी, स्नेही, नारी सुलभ भावना के साथ संबंध महसूस किया, इसलिये वह बिना किसी संकोच के जीवन में डुबकी लगाने के लिये सक्षम हो गया था ।
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